Movie/Album: गुलफ़ाम (1994)
Music By: हरिहरन
Lyrics By: ख़ुमार बाराबंकवी
Performed By: हरिहरन
मुद्दतों ग़म पे ग़म उठाए हैं
तब कहीं जाकर मुस्कुराए हैं
एक निग़ाह-ए-ख़ुलूस की ख़ातिर
ज़िन्दगी भर फ़रेब खाए हैं
मुझे फिर वही याद आने लगे हैं
जिन्हें भूलने में ज़माने लगे हैं
मुझे फिर वही याद...
सुना है हमें वो भुलाने लगे हैं
तो क्या हम उन्हें याद आने लगे हैं
जिन्हें भूलने में...
ये कहना है उनसे मोहब्बत है मुझको
ये कहने में उनसे ज़माने लगे हैं
जिन्हें भूलने में...
क़यामत यक़ीनन क़रीब आ गई है
'ख़ुमार' अब तो मस्जिद में जाने लगे हैं
जिन्हें भूलने में...
Lyrics By: ख़ुमार बाराबंकवी
Performed By: हरिहरन
मुद्दतों ग़म पे ग़म उठाए हैं
तब कहीं जाकर मुस्कुराए हैं
एक निग़ाह-ए-ख़ुलूस की ख़ातिर
ज़िन्दगी भर फ़रेब खाए हैं
मुझे फिर वही याद आने लगे हैं
जिन्हें भूलने में ज़माने लगे हैं
मुझे फिर वही याद...
सुना है हमें वो भुलाने लगे हैं
तो क्या हम उन्हें याद आने लगे हैं
जिन्हें भूलने में...
ये कहना है उनसे मोहब्बत है मुझको
ये कहने में उनसे ज़माने लगे हैं
जिन्हें भूलने में...
क़यामत यक़ीनन क़रीब आ गई है
'ख़ुमार' अब तो मस्जिद में जाने लगे हैं
जिन्हें भूलने में...