Movie/Album: सुकून (1984)
Music By: हरिहरन
Lyrics By: क़तील शिफ़ाई
Performed By: हरिहरन
हुस्न को चाॅंद जवानी को कॅंवल कहते हैं
उनकी सूरत नज़र आए तो ग़ज़ल कहते हैं
हुस्न को चाॅंद
उफ्फ वो मरमर से तराशा हुआ शफ़्फ़ाफ़ बदन
देखने वाले उसे ताज महल कहते हैं
उनकी सूरत...
पड़ गई पाॅंव में तक़दीर की ज़ंजीर तो क्या
हम तो उसको भी तेरी ज़ुल्फ़ का बल कहते हैं
उनकी सूरत...
मुझको मालूम नहीं इसके सिवा कुछ भी 'क़तील'
जो सदी वस्ल में गुज़रे उसे पल कहते हैं
उनकी सूरत...
Lyrics By: क़तील शिफ़ाई
Performed By: हरिहरन
हुस्न को चाॅंद जवानी को कॅंवल कहते हैं
उनकी सूरत नज़र आए तो ग़ज़ल कहते हैं
हुस्न को चाॅंद
उफ्फ वो मरमर से तराशा हुआ शफ़्फ़ाफ़ बदन
देखने वाले उसे ताज महल कहते हैं
उनकी सूरत...
पड़ गई पाॅंव में तक़दीर की ज़ंजीर तो क्या
हम तो उसको भी तेरी ज़ुल्फ़ का बल कहते हैं
उनकी सूरत...
मुझको मालूम नहीं इसके सिवा कुछ भी 'क़तील'
जो सदी वस्ल में गुज़रे उसे पल कहते हैं
उनकी सूरत...