दिल पे ज़ख्म - Dil Pe Zakhm (Jubin Nautiyal)

 

दिल पे ज़ख्म - Dil Pe Zakhm (Jubin Nautiyal)

Movie/Album: दिल पे ज़ख्म (2022)
Music By: रोचक कोहली, नुसरत फतेह अली खान
Lyrics By: मनोज मुंतशिर, इक़बाल सफीपुरी
Performed By: जुबिन नौटियाल

हँसता हुआ ये चेहरा, बस नज़र का धोखा है
तुमको क्या खबर कैसे, आँसुओं को रोका है
हो तुमको क्या खबर कितना, मैं रात से डरता हूँ
सौ दर्द जाग उठते हैं, जब ज़माना सोता है
हाँ तुमपे उंगलियाँ ना उठें, इसलिए ग़म उठाते हैं
दिल पे ज़ख्म खाते हैं
दिल पे ज़ख्म खाते हैं, और मुस्कुराते हैं
दिल पे ज़ख्म खाते हैं, और मुस्कुराते हैं
क्या बताएँ सीने में, किस कदर दरारें हैं
हम वो हैं जो शीशों को, टूटना सिखाते हैं
दिल पे ज़ख्म खाते हैं

लोग हमसे कहते हैं, लाल क्यूँ हैं ये आँखें
कुछ नशा किया है या, रात सोये थे कुछ कम
क्या बतायें लोगों को, कौन है जो समझेगा
रात रोने का दिल था, फिर भी रो ना पाए हम
दस्तकें नहीं देते, हम कभी तेरे दर पे
तेरी गलियों से हम, यूँ ही लौट आते हैं
दिल पे ज़ख्म खाते हैं

कुछ समझ ना आए, हम चैन कैसे पाएँ
बारिशें जो साथ में गुज़रीं, भूल कैसे जायें
कैसे छोड़ दे आँखें, तुझको याद करना
तू जीये तेरी खातिर, अब है कबूल मरना
तेरे खत जला ना सके, इसलिए दिल जलाते हैं
दिल पे ज़ख्म खाते हैं...
Previous Post Next Post

Contact Form