Movie/Album: गुलफ़ाम (1994)
Music By: हरिहरन
Lyrics By: बशीर बद्र
Performed By: हरिहरन
आ चाॅंदनी भी मेरी तरह जाग रही है
पलकों पे चराग़ों को लिए रात खड़ी है
आ चाॅंदनी भी...
वो माथे का मतला हो के होठों के दो मिसरे
बचपन से ग़ज़ल ही मेरी महबूब रही है
पलकों पे...
गज़लों ने वही जुल्फों के फैला दिए साये
जिन राहों पे देखा कि बहुत धूप कड़ी है
पलकों पे...
हम दिल्ली भी हो आए हैं लाहौर भी घूमे
ऐ यार मगर तेरी गली, तेरी गली है
पलकों पे...